मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
पचमढी में केबिनेट की बैठक पर विशेष
चौरागढ़ महादेव मंदिर – श्रद्धा, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम
नर्मदापुरम। जिले में सतपुड़ा की मनोरम पहाड़ियों की गोद में स्थित चौरागढ़ महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए आस्था, तपस्या और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत केंद्र है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 1,300 सीढ़ियों की कठिन चढ़ाई तय करनी पड़ती है।
महाशिवरात्रि पर्व पर यहां विशाल मेला और त्रिशूल अर्पण की परंपरा है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर चौरागढ़ मंदिर में भव्य मेला आयोजित होता है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु भगवान शिव को त्रिशूल अर्पित करते हैं। श्रद्धालु बड़े-बड़े त्रिशूल अपने कंधों पर लेकर कठिन ट्रेक पार करते हैं, जो उनके अटूट विश्वास और भक्ति का प्रतीक है।
चौरागढ़ मंदिर से पचमढ़ी की घाटियों का दृश्य और पौराणिक मान्यताएं बनाते हैं इस मंदिर को और विशेष बना देते है। मंदिर से सतपुड़ा की घाटियों का विहंगम दृश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। चौरागढ़ मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं। एक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए इसी पहाड़ी में शरण ली थी। वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार चोरा बाबा नामक तपस्वी ने यहां वर्षों तक तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल यहीं स्थापित किया। तभी से यह स्थान चौरागढ़ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
चौरागढ़ मंदिर के लिए सुगम पहुंच मार्ग: पचमढ़ी स्थित चौरागढ मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन: पिपरिया जो की पचमढ़ी से लगभग 50 किमी दूरी पर स्थित है। इसी प्रकार सड़क मार्ग से भी पचमढ़ी पहुंचकर वहां से लगभग 3-4 किमी ट्रेकिंग करते हुए मंदिर स्थल तक पहुंचा जा सकता है। इसी प्रकार पचमढ़ी के लिए निकटतम हवाई अड्डा भोपाल और जबलपुर है।
चौरागढ़ महादेव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह साहसिक ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक विशेष स्थल है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां की यात्रा कर अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरते हैं।
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