छोटी नदियां बारहमासी बहेगी तभी नर्मदा जैसी बड़ी नदी को बचा पाएंगे - मंत्री प्रहलाद पटेल हम एक पौधा अपने लिए नहीं अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए लगाए मंत्री श्री पटेल ने हाथेड नदी के उद्गगम स्थल पर की पूजा अर्चना - AKN News India

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Friday, 6 June 2025

छोटी नदियां बारहमासी बहेगी तभी नर्मदा जैसी बड़ी नदी को बचा पाएंगे - मंत्री प्रहलाद पटेल हम एक पौधा अपने लिए नहीं अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए लगाए मंत्री श्री पटेल ने हाथेड नदी के उद्गगम स्थल पर की पूजा अर्चना


 मनोज सोनी एडिटर इन चीफ 


छोटी नदियां बारहमासी बहेगी तभी नर्मदा जैसी बड़ी नदी को बचा पाएंगे - मंत्री प्रहलाद पटेल

हम एक पौधा अपने लिए नहीं अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए लगाए

मंत्री श्री पटेल ने हाथेड नदी के उद्गगम स्थल पर की पूजा अर्चना


नर्मदापुरम । प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने शुक्रवार को जनपद पंचायत केसला के ग्राम गोलन दोह में हाथेड नदी के उद्गगम स्थल पर पूजा अर्चना की। उन्होंने जल देवता को पुष्प नारियल एवं हवन सामग्री अर्पित की और विधि विधान से जल देवता की पूजा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज जल का संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है, यदि हम जल का संरक्षण नहीं करेंगे, जल स्रोतों को पुनर्जीवित नहीं करेंगे तो हमारी जल संरचनाएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी और हम बूंद बूंद पानी के लिए वंचित हो जाएंगे। 

श्री पटेल ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम छोटी-छोटी नदियों को बारहमासी बहने योग्य बनाएं तभी हम नर्मदा जैसी बड़ी नदी को बचा पाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरे आराध्य ने कहा था कि जहां पर नदियों का, वृक्षों का एवं मनुष्य का संगम होता है वहां पर जीवन का सृजन होता है। वहां पर जीवन की संभावना होती है। जहां-जहां नदियों का उद्गगम होता है चाहे वह दुर्गम क्षेत्र हो चाहे वन क्षेत्र हो वहां पर एक अभूतपूर्व ऊर्जा का संचार होता है, जो भी व्यक्ति नदियों के समीप पहुंचते हैं उन्हें बाकी मनुष्यों की तुलना में दुगुनी ऊर्जा प्राप्त होती है।

श्री पटेल ने कहा कि हम अपने पूर्वजों से सीख ले उन्होंने जो पौधा लगाया था वह आज हमें छाया, लकड़ी और फल दे रहा है साथ ही जल भी दे रहा है। वैसे ही हम अब पौधा लगाए यह पौधा अपने लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए लगाए। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ी हमसे पूछेगी कि हमने उनके लिए क्या किया था। श्री पटेल ने कहा कि दादा गुरु ने भी कहा है कि जहां नदी है वहां सदी है लेकिन हम इस सत्य को समझने को तैयार नहीं है। हम कोई ग्लेशियर में रहने वाले लोग नहीं है हमें जल वर्षा से, पौधों से और वनस्पतियों से मिलता है। इसलिए आवश्यकता है कि जितना ज्यादा संभव हो हम वृक्ष लगाए। पौधों की कटाई बिल्कुल ना करें।

 श्री पटेल ने कहा कि सभी को हाथेड नदी का पानी चाहिए। हाथेड़ नदी का पानी पेयजल एवं सिंचाई के काम आता है लेकिन लोगों को यह चिंता नहीं है कि हाथेड में पानी कहां से आए। श्री पटेल ने कहा कि हम मनुष्यों का स्वभाव है कि हम पौधे तो लगाते हैं लेकिन फिर पलट कर नहीं देखते कि वह जीवित है कि नहीं। पौधों को 3 वर्ष तक विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके पश्चात पौधा खुद ही सरवाइव कर लेता है। पहले हमारे पूर्वजों ने पौधा लगाकर उसकी पर्याप्त देखभाल की थी और यह पौधे आज भी हमें शीतल छाया और फल देते हैं। एक पौधा यदि 6 से 7 वर्ष की उम्र पा ले तो फिर उसे किसी मनुष्य की देखभाल की आवश्यकता नहीं, फिर वह आपको छाया भी देगा, लकड़ी भी देगा, फल भी देगा और पानी की बूंदे भी देगा। श्री पटेल ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम अधिक से अधिक पौधरोपण करें और पौधों की देखभाल भी करें।

हाथेड नदी के उद्गगम स्थल गोलन दोह में पूजा अर्चना के दौरान सिवनी मालवा विधायक प्रेम शंकर वर्मा, सुधीर पटेल, अनिल बुंदेला सहित अन्य जनप्रतिनिधि गण एवं एसडीएम इटारसी  प्रतिक राव सहित संबंधित अधिकारी गण उपस्थित थे।



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