हरियाणा | के रोहतक जिले में 5 साल पहले हुए जगदीश हत्याकांड मामले में बड़ा और नया मोड़ आ गया है। आरोपी पक्ष ने सवाल उठाया कि जिसकी हत्या का केस चल रहा है, शव उसका था भी या नहीं। सिर्फ कपड़ों के आधार पर पुष्टि नहीं की जा सकती। सरकारी वकील की एप्लीकेशन के बाद डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया गया। साथ ही हाईकोर्ट ने रोहतक कोर्ट को 45 दिन में केस खत्म करने के भी आदेश जारी किए। लेकिन आदेशों के बाद भी मधुबन लैब से डीएनए की रिपोर्ट नहीं मिली। इस पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश सिंह की कोर्ट ने नाराजगी जताई है। उन्होंने लैब के एफएसएल डायरेक्टर(डीएनए डिवीजन) के नाम समन जारी करके 20 सितंबर को रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।
यह था मामला
8 जुलाई 2016 को रिठाल गांव निवासी राजेंद्र ने रोहतक के सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें बताया कि उसका छोटा भाई जगदीश सुबह के समय प्लांट पर गया था, जो वापस नहीं लौटा। प्लांट के चौकीदार ने बताया था कि जगदीश यहां से संतोष के घर गया था। 13 जुलाई 2016 को जगदीश का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला था। उन्होंने कपड़ों के आधार पर शव जगदीश का होने की पहचान की थी। इस मामले में संतोष, उसकी बेटी सपना, जितेंद्र और अमित पर हत्या का आरोप लगा था। यह मामला तभी से कोर्ट में विचाराधीन है।
हाईकोर्ट ने 45 दिन में केस निपटान के दिए थे निर्देश
कुछ माह पहले आरोपी पक्ष ने सवाल खड़े कर दिए कि कपड़ों के आधार पर कैसे माना जा सकता है कि जो शव बरामद हुआ था, वह जगदीश का ही था। इसके बाद सरकारी वकील ने डीएनए के लिए एप्लिकेशन दायर की। जिसके बाद जगदीश के भाई का खून और मृतक की हड्डी डीएनए टेस्ट के लिए मधुबन लैब में भेजी गई। 25 अगस्त को हाईकोर्ट ने रोहतक कोर्ट को आदेश जारी किया कि मधुबन स्थित एफएसएल लैब से डीएनए की रिपोर्ट जल्दी मंगवाई जाए और 45 दिन में केस का निपटारा किया जाए।
लैब अधिकारियों ने कोर्ट के आदेशों का न पता होने की कही बात
6 सितंबर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश सिंह की कोर्ट ने आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि 14 सितंबर को एफएसएल डायरेक्टर (डीएनए डिवीजन) रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश हों, लेकिन वे पेश नहीं हो सके। मामले में वीरवार को फिर से सुनवाई हुई, जिसमें सदर एसएचओ पेश हुए। एसएचओ ने कोर्ट में खड़े होकर ही मधुबन लैब में फोन किया और कहा कि हाईकोर्ट का आदेश है, जल्दी से जल्दी डीएनए की रिपोर्ट दी जाए। लैब की तरफ से जवाब मिला कि उन्हें हाईकोर्ट के आदेशों की जानकारी नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। साथ ही आदेश दिए कि 20 सितंबर को हर हाल में डीएनए की रिपोर्ट लेकर एफएसएल डायरेक्टर (डीएनए डिवीजन) पेश हों। कोर्ट ने उनके नाम का समन भी जारी किया है।
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