
बेंगलुरू । धर्मांतरण को लेकर संघ परिवार और ईसाई मिशनरियों के बीच बढ़े तनाव के बाद कर्नाटक सरकार राज्य में गिरजाघरों का सर्वे करवा रही है ताकि ये पता चले कि यहां कहां कितने चर्च हैं, कितने वैध हैं और कितनों के पास कागज़ नही हैं। मौजूदा भारतीय जनता पार्टी विधायक और मंत्री भी रह चुके गुलि-हट्टी शेखर की पहल पर सरकार ने चर्चों का सर्वे शुरू किया है। वर्तमान में वे पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण के लिए बनी समिति के सदस्य हैं । उनका आरोप है कि भाई और पिता की मौत के बाद मानसिक तौर पर कमज़ोर हुई उनकी मां को चर्च ने धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करने की कोशिश की। शेखर कहते हैं, 'मुझे अचानक एक दिन पता चला कि मां चर्च जाती है। मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन उन्होंने घर पर पूजा करना छोड़ दिया। हिन्दू रीति रिवाज मानना छोड़ दिया और देवी देवताओं की सारी तस्वीरें कमरे से हटा दीं।'
अब काफी समझाने के बाद शेखर की मां हिन्दू रीति रिवाज को वापस मानने लगी है। राज्य के कानून मंत्री मधु स्वामी कहते हैं, 'हम उस समाज के खिलाफ कुछ नही कर रहे। सरकार अगर उनकी स्थिति और संपत्ति के बारे में पता करने की कोशिश कर रही है तो इसमे गलत क्या है?
ज्ञात रहे कि हाल ही में हुबली में वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ता एक चर्च में भजन गाने पहुंच गए थे। हुबली में चर्च के अंदर घुसकर भजन कीर्तन और 2008 में हुए चर्चो पर हमले से आहत चर्च इस सर्वे की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। मिशनरीज का आरोप है कि चर्च की स्थापना के लिए कानूनी प्रक्रिया सख्त है और इसमे सालों लग जाते है ऐसे में काफी सारे चर्च सरकार के निशाने पर आ जाएंगे।
*सम्पूर्ण समाचारो के लिए न्याय क्षेत्र भोपाल होगा समाचार का माध्यम मध्य प्रदेश जनसम्पर्क है
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