नव वर्ष पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न।
देर रात तक कवियों ने बांधा समां, श्रोताओं को किया भाव विभोर।
नर्मदापुरम। माँ नर्मदा के प्रसिद्ध सेठानी घाट पर रेवा की कल कल धारा के साथ स्वर साधना की देश के दिग्गज मौलिक स्थापित कवियों ने नर्मदा आव्हान सेवा समिति व्दारा नव सवंत्सर गुड़ीपड़वा मतदाता जागरूकता अभियान के अंतर्गत संतोष इंकलाबी व्दारा स्थापित मंच पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सेठानी घाट नर्मदापुरम मे आचार्य सोमेश परसाई के मुख्यातिथ्य, समाज सेवी डाँ.अतुल सेठा की अध्यक्षता एवं वरिष्ठ पत्रकार बलराम शर्मा, दिनेश तिवारी, हंस राय के विशिष्ट अतिथि मे सम्पन्न हुआ।
देश के बडे मंच संचालक कौशल सक्सेना के संचालन ओर केप्टिन करैया के संयोजन लोकप्रिय हास्य के अंतरराष्ट्रीय कवि कवि राजेंद्र आलसी, सुप्रसिद्ध गीतकार अर्जुन सिंह चांद, वीर रस के देश के प्रसिद्ध कवि पंकज अंगार झांसी, प्रख्यात मिश्रा लखनऊ ,हास्य कवि कुलदीप रंगीला देवास, मनीष गोस्वामी और वीररस के ख्याति प्राप्त कवयित्री श्रृद्धा शौर्य नागपुर एंव गीत श्रृंगार शीतल देवयानी ने शानदार काव्यपाठ किया।
कवि सम्मेलन देर रात तक जारी रहा देश के विभिन्न अंचलों से आये 9 कवियों ने श्रोताओं को अपनी कविता, गीत, गजल, ओज, हास्य, व्यंग्य की रचनाओं से भाव विभोर कर दिया। सरस्वती पूजन कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ अतिथियों एंव कवियों का समिति सदस्यों ने फूल मालाओं से स्वागत किया। स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक केप्टिन करैया ने दिया।
मुख्यातिथि ने आचार्य पंडित सोमेश परसाई ने कहा कि नर्मदा आव्हान सेवा समिति का यह साहित्यिक अनुष्ठान सराहनीय हैं उन्होंने कहा कि साहित्य में समाज को दिशा मिलती है । जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि का तात्पर्य है। कविगण सूर्य के प्रकाश तरह ही समाज को सही दिशा प्रदान करते हैं,अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में साहित्य और साहित्यकारों की विशेष भूमिका रहती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डाँ अतुल सेठा ने कहां की पढ़ना और सुनना एक कला है जो लिखना और कहना सिखाती है। उन्होंने कहां की केप्टिन करैया साहित्यकार ना होते हुए भी साहित्य की साधना कर रहे हैं हमें उनकी इस कदम की सराहना करनी चाहिए उन्होंने आयोजन के लिए समिति को बधाई दी। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि स्व संतोष इंकलाबी की स्मृति मे अंतरराष्ट्रीय कवि राजेंद्र मालवीय आलसी को शाल श्रीफल , स्मृति चिन्ह देकर नर्मदांचल का गौरव से सम्मानित किया।
सरस्वती वंदना नागपुर से आई श्रृद्धा शौर्य की प्रस्तुति से कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ। लोकप्रिय हास्य कवि राजेंद्र मालवीय आलसी इटारसी ने "उम्र के फूल सूख के बिखर जाएंगे क्या पता इन हवाओं में किधर जाएंगे याद रहे जाएंगे बस यही दो चार पल जो आपके साथ मोहब्बत में गुजर जाएंगे" बहुत वाहवाही लूटी।
अर्जुन सिंह चाँद झांसी ने "दुनिया को एक नया कायदा दीजिए पर ना कोई हमें वास्ता दीजिए आप आगे हैं, आगे ही रहिए सदा हैं जो पीछे उन्हें रास्ता दीजिए" पर खूब वाहवाही लूटी खूब सराही गई।लखनऊ के प्रख्यात मिश्रा ने ऊंचाई प्रदान करते हुए अपनी रचना ‘‘सेना को करने दो जो भी करना चाहे घाटी में।माटी से जिसको नफरत हो उसे मिला दो माटी में’’ प्रस्तुत की, जिस पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई।
कवि सम्मेलन का कुशल संचालन कर रहे रायसेन से आये कौशल सक्सेना ने अपनी रचना में "सिंहासन धृतराष्ट्र के पल्ले पड़ी है गांडीव की ढंकार भी माध्यम पड़ी है, फिर गीता भले हो जाए 18 अध्याय की अर्जुन को जगाने कृष्ण को कहना पड़ी है"श्रोताओं बहुत सराहा गया। नागपुर की श्रद्धा शौर्य ने "हे विरहणि ! व्यर्थ के अलाप गाना छोड़ दे। वेदना के फिर वही सब ताप गाना छोड़ दे। कंठ में भर चेतना के स्वर जगा जा तू अलख । गान कर वरदान का अभिशाप गाना छोड़ दे"की प्रस्तुति पर खूब ताली बटोरी ओर जय श्रीराम के नारे लगे। देवास के कुलदीप रंगीला ने कुलदीप रंगीला ने अपनी लिखी डायरी, खुद ही बांच रही है खुद देकर पेपर, वो खुद ही जांच रही है जो कहती थी देश ये भारत है भूखा नंगों का, जामनगर में वह अनंत की शादी में नाच रही है।
झांसी के पंकज अंगार ने "बहन राखी के धागों के सभी दस्तूर दे आई कि इक मां अपनी आंखों का चमकता नूर दे आई जरा सी कम नजर आई वतन के भाल पर लाली सुहागन झट से अपनी मांग का सिंदूर दे आई" पर खूब वाहवाही लूटी। मनीष गोस्वामी व्याबरा, शीतल देवयानी इंदौर की ने रचनाओं पर श्रोताओं ने खूब ताली बजाई ओर देर रात तक श्रोताओं को खूब गुदगुदाये एवं लोट पोट करते हुए बांधे रखा। कार्यक्रम का संचालन बलराम शर्मा, पवन सराठे एवं आभार प्रर्दशन हंस राय ने दिया।
मनोज सोनी एडिटर इन चीफ


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