दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि भविष्य में किसी भी संकट या मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। सरकार का लक्ष्य 50 मीट्रिक टन प्रति यूनिट की न्यूनतम क्षमता वाले तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करना है जिसकी लक्ष्य क्षमता 100 मीट्रिक टन है। इसके तहत न्यूनतम 10 एमटी और अधिकतम 50 एमटी क्षमता के नन-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र की स्थापना होगीजब तक कि कुल 100 मीट्रिक टन क्षमता का निर्माण पूरा नहीं हो जाता।

तैयारी... तरल ऑक्सीजन के भंडारण की होगी नीति तय
तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के चालू होने के एक महीने के भीतर सकल राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) की पूर्ण प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस नीति का उद्देश्य निजी क्षेत्र को अस्पतालों और नर्सिंग होम में न्यूनतम 500 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) क्षमता के पीएसएएएसयू संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना हैताकि मेडिकल ऑक्सीजन और न्यूनतम 10 एमटी क्षमता के एल-एमओ भंडारण टैंकों की अधिकतम मांग पूरी की जा सके।

बिजली पर सब्सिडी दी जाएगी
नीति दस्तावेज के अनुसारतरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तारीख से पहले पांच वर्षों के लिए विनिर्माण प्रक्रिया में खपत बिजली पर रुपये प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी भी दी जाएगी।

केंद्र व राज्य सरकार थी आमने-सामने
दूसरी लहर के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली की राज्य सरकार तरल चिकित्सा ऑक्सीजन को लेकर एक दूसरे पर आराेप लगाते रहे। दिल्ली सरकार ऑक्सीजन की कमी को लेकर कहती रही की केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी हुई है। वहीं केंद्र सरकार का कहना था कि दिल्ली के हिस्से का ऑक्सीजन उसे दे दिया गया।

दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी हुई थी
कोरोना संक्रमण के लहरके दौरान दिल्ली को अप्रैल और मई में ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझना पड़ा था और राजधानी के अस्पतालों ने अपने घटते स्टॉक को फिर से भरने के लिए अधिकारियों को एसओएस कॉल भेजे थे। कई निजी अस्पतालों ने सरकार से अपने मरीजों को इस गंभीर परिस्थिति से बाहर निकालने का अनुरोध किया था और ऑक्सीजन संकट के लिए अस्पताल वालों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। 23 अप्रैल कोऑक्सीजन की कमी के कारण उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पतालसर गंगा राम अस्पातल में में गंभीर रूप से बीमार कम से कम 21 कोरोना रोगियों की मृत्यु हो गई थी।