मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
समापन दिवस पर शिशुपाल वध, सुदामा चरित्र व परीक्षित मोक्ष की लीलाओं से गूंजा वातावरण
भावपूर्ण कथा के साथ हुआ कथा विश्राम, भंडारे में श्रद्धालुओं ने पाया प्रसाद
नर्मदापुरम। कोठी बाजार स्थित माँ आदि शक्ति मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सातवें दिन रविवार को भावपूर्ण समापन हुआ। कथा वाचक सद्भव तिवारी 'मानससुमन' जी ने शिशुपाल वध, सुदामा चरित्र भक्ति योग का महत्व तथा राजा परीक्षित मोक्ष जैसी अत्यंत प्रेरणादायक कथाओं का प्रभावशाली वर्णन कर श्रोताओं को आत्मिक शांति और भक्ति का संदेश दिया।
कथा का आरंभ शिशुपाल वध प्रसंग से हुआ, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने धैर्य की सीमाओं के पार जाने पर अधर्म का अंत कर धर्म की प्रतिष्ठा की। इसके पश्चात सुदामा चरित्र ने सभी को भावविभोर कर दिया—गरीबी में भी परम संतोष और श्रीकृष्ण से मित्रता की दिव्यता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत हुआ।
भक्ति योग के महत्व को विस्तार से समझाते हुए मानससुमन जी ने कहा, ज्ञान और वैराग्य के बिना भी यदि भक्ति है, तो वह भगवान को प्राप्त करा सकती है।अंत में राजा परीक्षित मोक्ष की कथा के माध्यम से कथा का विश्राम हुआ, जहाँ भागवत श्रवण के पुण्य से मृत्यु के भय का निवारण और परमगति की प्राप्ति का संदेश मिला।यह पावन आयोजन स्व. प्रतीशचंद्र दत्ता की पुण्य स्मृति में किया गया था। आयोजक श्रीमती आरती दत्ता थीं।
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