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Saturday, 28 June 2025

सर्पदंश से जन सामान्य के बचाव के लिए एडवाइजरी जारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भोपाल द्वारा बचाव, उपचार, एवं जागरूकता के लिए जारी किए गए उपाय

 




मनोज सोनी एडिटर इन चीफ


सर्पदंश से जन सामान्य के बचाव के लिए एडवाइजरी जारी

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भोपाल द्वारा बचाव, उपचार, एवं जागरूकता के लिए जारी किए गए उपाय


नर्मदापुरम। बरसात के मौसम में सांपों के प्राकृतिक निवास में पानी भर जाने के कारण सर्पदंश की घटनाओं में वृद्धि होने को दृष्टिगत रखते हुए मध्य प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मध्य प्रदेश शासन द्वारा सर्पदंश की घटनाओं से जनहानि के नियंत्रण और बचाव के लिए सुझाव जारी किए गए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गृह विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा सर्पदंश की घटनाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक कार्रवाई संपादित किए जाने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें सर्पदंश से बचाव के लिए व्यापक जागरूकता, सर्प से बचाव, प्राथमिक उपचार, साफ सफाई, प्रशिक्षित सर्प मित्रों की वार्ड एवं ग्रामीण स्तरों में तैनाती आदि सम्मिलित है।

मप्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गृह विभाग द्वारा जिले में पंचायत एवं शहरी वार्ड स्तर पर विभिन्न माध्यम से जन जागृति तथा प्रशिक्षण उपलब्ध किए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही सर्प दंश से बचाव तथा प्राथमिक उपचार संबंधित सुझाव का होर्डिंग, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करवाया जाए। उक्त कार्य के लिए स्थानीय गैर सरकारी संगठनों सामुदायिक समूह और समाजसेवी सगठनों की भी सहायता ली जा सकती है। 

जारी दिशा निर्देशानुसार जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि स्कूल एवं कॉलेज में सर्पदंश के खतरों एवं प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं साथ ही सिविल डिफेंस आपदा मित्र वॉलिंटियर के लिए सांपों के विभिन्न प्रजातियों की पहचान तथा सर्पदंश के प्राथमिक उपचार एवं प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यशाला भी आयोजित करें। जिले में प्रशिक्षित स्नेक कैचर्स सर्प मित्रों की पंचायत एवं वार्ड स्तर पर तैनाती की जाए साथ ही उनके हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाना सुनिश्चित करें। साथी उन्हें स्नेक रेस्क्यू कट फर्स्ट एड किट उपलब्ध किए जाने की व्यवस्था भी की जाए जिससे सर प्रेस क्यों के दौरान इस किट का उपयोग सुरक्षित रेस्क्यू कार्य के लिए किया जा सके। इसी प्रकार समस्त शासकीय चिकित्सालय्यों में सर्पदंश से बचाव संबंधी एंटी वेनोम दवाइयों का भंडारण पर्याप्त मात्रा में किया जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

सर्पदंश पीड़ितों के उपचार की व्यवस्था

सर्पदंश की घटनाओं में देखा गया है कि बहुत सारे लोग सर्पदंश के बाद अस्पताल ना जाकर झाड़ फूंक में महत्वपूर्ण समय को गंवा देते हैं। सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को त्वरित रूप से नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या प्राथमिक उपचार केंद्र पर पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए।  सांप काटने पर शांत रहें और घबराए नहीं घबराने से हृदय गति बढ़ जाती है जिससे विष का फैलाव तेजी से हो सकता है। सर्पदंश स्थल को साफ और खुला रखें ताकि उसमें हवा लग सके साथ ही ढीली पट्टी बांध सकते हैं लेकिन रक्त प्रवाह को बंद ना करें।  सर्पदंश वाले घाव को धोने की कोशिश ना करें यह विष के फैलाव को बढ़ा सकता है।

सर्पदंश के बाद क्या ना करें

स्वयं से किसी भी प्रकार की दवाई मरीज को ना दें साथ ही पीड़ित व्यक्ति के सर्पदंश वाले भाग पर किसी भी प्रकार का मलहम ना लगाएं एवं सपेरे अथवा तांत्रिक से किसी भी प्रकार का परामर्श न लें। शीघ्र ही नजदीकी अस्पताल पहुंचकर चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। सर्पदंश स्थल को काटने या चूसने की कोशिश ना करें यह विष को हटाने में मदद नहीं करता और संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकता है। सर्पदंश स्थल पर आइस पैक ना लगाएं यह विष के फैलाव को नहीं रोकता और ऊतक क्षति का कारण बन सकता है साथ ही साबुन और पानी से भी साफ ना करें। अल्कोहल या कैफीन का सेवन भी हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह विष के प्रभाव को बढ़ा सकता है।

सर्पदंश से बचने के उपाय

सर्पदंश से बचने के लिए स्लीपिंग बैग जूते और कपड़ों को उपयोग करने से पहले उन्हें हिलाए जिससे उनमें छिपे सांप या अन्य कोई जीव जंतु बाहर निकल जाएं। रात में टहलते समय भारी बारिश के बाद टॉर्च या रोशनी का उपयोग करें। अपने घरों के आसपास साफ सफाई रखें। घर या दुकान के आसपास किसी भी तरीके का कबाड़ इकट्ठा न होने दें साथ ही इन स्थानों पर छोटे-छोटे गड्ढे और दरारों को बंद कर दें।

सर्पदंश के लक्षण

सांप के डंसने काटने से अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं जैसे काटने वाली जगह पर दर्द एवं सूजन, एलर्जी, घाव से खून बहना, लो बीपी, अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना, अति जहरीले सांप के काटने पर पीड़ित को आंखें खोलने तथा बोलने में कठिनाई सांस रुकना खून तथा काटे गए अंग के काले पड़ने की भी संभावना रहती है।

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