मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
संदीप को हुआ आत्म संतोष
नर्मदा पुरम। सांदीपनी, शासकीय कृषि उमावि विद्यालय पवारखेड़ा में संस्कृत भाषा के दो समर्पित सेवाभावी शिक्षकों की अनुकरणीय पहल ने, संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए खुद को जुनून जिद और उत्साह उमंग और महत्वकांक्षा को लेकर विगत वर्षों में जिला स्तरीय संस्कृत भाषा कार्यशाला में उपस्थित हुए थे। तभी तय किया गया था कि संस्थाओं में चलकर आंचलिक क्षेत्र ग्रामीण परिवेश की होनहार प्रतिभाओं को तलाश कर संस्कृत भाषा का परचम फहराएंगे, उक्त कार्य को लेकर संदीप अश्वररे संतोष कुमार बाबरिया संस्कृत भाषा के लिए एक अनुकरणीय पहल की ,90 से 99 प्रतिशत अंक लाने वाले सभी 18 विद्यार्थियों को संस्था प्राचार्य नीखर के कर कमलों से नगदी राशि 1100 रुपए प्रति विद्यार्थियों को मंच पर देकर सम्मानित किया और सभी 18 विद्यार्थियों की लगन निष्ठा समर्पण परिश्रम मेहनत ने विद्यालय को एक संस्कृत भाषा का परचम लहराया जिसके लिए संस्था प्राचार्य नीखर ने कहा है कि आज पेसो की भागम भाग, सरकारी स्कूल में बजट का कही कोई बात को दर किनार कर मेरे स्टाफ सदस्यों सहयोगियों ने जो अनुकरणीय पहल की है उसके लिए में हृदय की अनंत गहराइयों से बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं और इनके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं, सरकारी शैक्षिक संस्थानों में लोकसेवकों की इस तरह की उदारता आत्मीयता सहयोग वास्तव में मील का पत्थर सिद्ध होगा, इनके द्वारा किए गए ये पुनीत कार्य इन होनहार प्रतिभाओं शाली विधार्थियो को आज नहीं जीवन पर्यंत तक ये नगदी राशि 1100 एक हजार सो रुपए सदैव याद रहेंगे, संतोष कुमार साहू वरिष्ठ व्याख्याता ने दोनों साथियों के लिए कहा है कि, सोच समझ समर्पण, सहयोग करना भी ईश्वर की पूजा करने जैसा ही है इनकी इस साधना को नमन करता हूं, जिला स्तरीय संस्कृत भारती संस्था के मार्ग दर्शक प्रेरणा स्रोत, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संतोष कुमार व्यास (प्राचार्य औद्योगिक संस्थान नर्मदा पुरम) ने दोनों साथियों को ढेर सारी शुभकामनाएं बधाई दी एवं मंगल कामना करते हुए बताया है कि इनकी साधना वास्तव में संस्कृत भाषा के लिए समर्पित निष्ठा समर्पण भाव का फल प्रतिफल जो स्वागत वंदन अभिनंदन तुल्य है, इसी क्रम में संदीप कुमार अश्वर रे ने कहा कि इन होनहार प्रतिभाओं शाली विद्यार्थियों को ये समर्पित पुष्प देकर में अपने आप हर्षित हु और मुझे अत्यंत ही संतोष (खुशी) हुई है कि में इस योग्य सक्षम बना, इसी क्रम में संतोष कुमार बाबरिया ने बताया है कि संस्कारित परिवार रिवाज धार्मिक कार्यों सामाजिक कार्यों और नव युवा पीढ़ी को भारतीय भाषा वेद ग्रन्थ पुराण पुस्तक से रूबरू कराने हेतु में समर्पित हु, मुझे मेरे सहयोगी मेरे मार्ग दर्शक और मेरे संस्था प्राचार्य की उदारता नेतृत्व सहयोग मार्ग दर्शन करने से में यह सब कुछ कर सका इसके लिए में हृदय से सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद, कार्यक्रम का संचालन करते हुए बायो संकाय प्रभारी आशुतोष शर्मा ने कहा है कि, शिक्षा का ऋण, गुरु का ऋण, मां का ऋण हम उतार तो नहीं सकते लेकिन साथियों का यह प्रयास एक वास्तव में सराहनीय नहीं अनुकरणीय पहल है।
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