22 या 23 अक्टूबर भाई दूज कब है? जानें भाई को तिलक करने का महत्व , शुभ मुहूर्त व विधि - AKN News India

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Tuesday, 21 October 2025

22 या 23 अक्टूबर भाई दूज कब है? जानें भाई को तिलक करने का महत्व , शुभ मुहूर्त व विधि

 


22 या 23 अक्टूबर भाई दूज कब है? जानें भाई को तिलक करने का महत्व , शुभ मुहूर्त व विधि


नर्मदा पुरम । हिन्दू सनातन संस्कृति और धर्म अनुसार पंच दिवसीय दीपावली महापर्व के आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। जानें इस बार भाई दूज किस दिन मनाया जाएगा और भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

गौरतलब है कि भाई दूज दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं, और मिठाई खिलाती हैं। इस पर्व का महत्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार हैें।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

 दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का समापन भाई दूज के पर्व के साथ होता है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन की तरह ही, यह दिन भी भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। इस साल भाई दूज का पर्व कब मनाया जाएगा और इसकी तिलक विधि क्या है

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं, द्वितीया तिथि की समाप्ति 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

तिलक विधि

सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें। थाली में एक दीपक, रोली, अक्षत, हल्दी, मिठाई, सुपारी, सूखा नारियल और मौली धागा आदि चीजें रखें।अपने भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करवाएं। बहनें अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद, बहनें भाई की आरती उतारें और उन्हें मिठाई खिलाएं। इसके बाद, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी सदैव रक्षा करने का वादा करते हैं।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन देवी यमुना से जुड़ा है। कथा के अनुसार, कार्तिक माह की द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए। यमुना ने उनका तिलक कर आरती उतारें और उन्हें भोजन कराया। यमुना के प्रेम से खुश होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसी वजह से इस पर्व को 'यम द्वितीया' के नाम से भी जाना जाता है।


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