कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा तवा संगम स्थल बांद्राभान मेला में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब लाखों श्रद्धालुओं ने संगम स्थल पर लगाईं आस्था की डुबकी परिजनों के साथ पूजन अर्चन कर बनाईं दाल बाटी और चूरमा, - AKN News India

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Wednesday, 5 November 2025

कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा तवा संगम स्थल बांद्राभान मेला में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब लाखों श्रद्धालुओं ने संगम स्थल पर लगाईं आस्था की डुबकी परिजनों के साथ पूजन अर्चन कर बनाईं दाल बाटी और चूरमा,




 मनोज सोनी एडिटर इन चीफ 


कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा तवा संगम स्थल बांद्राभान मेला में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

लाखों श्रद्धालुओं ने संगम स्थल पर लगाईं आस्था की डुबकी 

परिजनों के साथ पूजन अर्चन कर बनाईं दाल बाटी और चूरमा, 


एके एन न्यूज नर्मदापुरम। बांद्राभान मेला नर्मदा और तवा नदियों के संगम पर कार्तिक पूर्णिमा पर प्रतिवर्ष लगता है। यह एक धार्मिक मेला है जो नर्मदा नदी के संगम स्थल पर आयोजित होता है। इसमें नर्मदा पुरम के अलावा अन्य कई जिलों से आए नागरिक लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मेला इस क्षेत्र की एक पहचान है और धार्मिक महत्व रखता है, क्योंकि मान्यता है कि एक प्राचीन राजा को इसी स्थान पर तपस्या करने के बाद श्राप से मुक्ति मिली थी। 

मेले के बारे में मुख्य बातें: बांद्राभान नर्मदा और तवा नदी का संगम, कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल आयोजित होता है

धार्मिक महत्व: मान्यता है कि नर्मदा-तवा संगम पर एक राजा ने तपस्या करके श्राप से मुक्ति पाई थी, जिसके बाद से यहां मेले का आयोजन शुरू हुआ।

श्रद्धालुओं की भीड़: इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु संगम स्थल पर स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

अन्य आकर्षण: मेले में दुकानें, झूले और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जो इसे एक लोकप्रिय वार्षिक आयोजन बनाते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा: नर्मदा पर आस्था का सैलाब, बांद्राभान मेला की पौराणिक कथा भी बड़ी रोचक है। कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा नदी और तवा नदी के संगम स्थल पर स्नान करने का विशेष महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। बांद्राभान मेले में कार्तिक पूर्णिमा पर मुख्य स्नान करने का बहुत महत्व है. श्रद्धालु स्नान करने और मोक्ष की कामना लिए संगम स्थल पर पहुंचे. वहीं जिला प्रशासन की ओर से मेले को लेकर सारी व्यवस्थाएं की गईं.है।

राजा को कैसे मिली थी श्राप से मुक्ति

कार्तिक माह की पूर्णिमा पर संगम स्थल बांद्राभान मेले को लेकर कई मान्यताएं हैं. मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में एक राजा को श्राप मिला था कि वह बंदर की तरह दिखाई देगा. श्राप के बाद से ही राजा का रूप वानर जैसा हो गया. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए राजा नर्मदा और तवा नदी के संगम स्थल बांद्राभान पर आया और उसने तपस्या की. तपस्या के कारण उसे इस श्राप से मुक्ति मिली. तब जाकर उस राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से इस जगह को बांद्राभान कहा जाने लगा.

पांडवों ने यहां की थी कठोर तपस्या

एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां पांडवों ने प्राचीन समय मे निवास किया था और उन्होंने यहां तपस्या की थी. ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए, जिन्होंने इस संगम स्थल पर तपस्या करते हुए मोक्ष पाया. किंवदंती है कि संगम स्थल पर कई तपस्वियों ने मोक्ष के लिए तपस्या की थी मेले में सुबह से करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने स्नान कर लिया है. पुलिस प्रशासन और होमगार्ड लगातार मौके पर तैनात है. प्रशासन द्वारा पर्याप्त व्यवस्थाएं बनाई गई हैं।

आस्था और संस्कृति के संगम पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने की कुल देवी-देवताओं की पूजा

 कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा नदी और तवा संगम स्थल बांद्राभान मेले में आस्था और संस्कृति का संगम हुआ। लाखों श्रद्धालुओं ने अल सुबह से संगम पर स्नान किया। परिवार सहित एक दिन पूर्व पहुंचे लोगों ने बुधवार की सुबह स्नान किया। मेला स्थल पर नर्मदा पूजन,भगवान सत्य नारायण की कथा व दूर दराज गांव से मेले में पहुंचे ग्रामीणों ने अपने पूर्वजों सहित कुल देवी,देवताओं की पूजन अर्चना की। इस मेले में देव पडिहार ओझाओं से अपने भविष्य और फसल सहित काम धंधे की बेहतरी की कामना संगम पर दिन भर चली।रुक-रुककर लगता रहा जाम बांद्राभान तक पार्किंग के कारण दिन भर जाम की स्थिति बनती रही। वाहनों की अधिक आवाजाही के कारण ट्रैफिक रुक-रुक कर चला। पुलिस बल तैनात रहा लेकिन हर कहीं वाहन पर्किंग से जाम की स्थिति बनी

यह मेला नर्मदा और तवा नदियों के संगम पर कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल लगता है। यह एक  धार्मिक मेला है जो नर्मदा नदी के संगम स्थल पर आयोजित होता है, और इसमें अधिक संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मेला इस क्षेत्र की एक विशेष पहचान है  क्योंकि मान्यता है कि एक राजा को इसी स्थान पर तपस्या करने के बाद श्राप से मुक्ति मिली थी। इस दौरान  संख्या में श्रद्धालु संगम स्थल पर प्रतिवर्ष स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।अन्य आकर्षण: मेले में दुकानें, झूले और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जो इसे एक लोकप्रिय आयोजन बनाते हैं।


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