मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
मातृ पोषण और पेरेंटल आयरन के लिए चिकित्सकों एवं नर्सिंग ऑफिसर का प्रशिक्षण संपन्न
नर्मदापुरम// मातृ मृत्यु दर में कमी लाने और गर्भवती तथा धात्री माताओं को पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नर्मदापुरम नगर के कालिका नगर स्थित प्राइम लैंड होटल में गुरूवार 18 दिसम्बर को चिकित्सको एवं नर्सिंग ऑफिसर का मातृ पोषण और पेरेंटल आयरन का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नरसिंह गेहलोत के मार्गदर्शन और जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉ. सृजन सेंगर की देखरेख में किया गया। कार्यक्रम में गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के प्रशिक्षक डॉ. देवेन्द्र गौर और डॉ. मंजू टोपे ने भाग लिया। उन्होंने एनीमिक, कम वजन और हाई‑रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान तथा उन्हें सामान्य स्थिति में लाने के लिए आवश्यक चिकित्सीय एवं पोषण संबंधी उपायों पर प्रकाश डाला।
डॉ. गौर और डॉ. टोपे ने बताया कि गर्भधारण की पुष्टि होते ही महिला का पंजीकरण, वजन, ऊँचाई, हीमोग्लोबिन, रक्त शर्करा, रक्तचाप और पेट की जांच कर उसकी स्वास्थ्य स्थिति का आकलन किया जाना चाहिए। हाई‑रिस्क मामलों में एनीमिक, पिछला सीज़र प्रसव, कम वजन आदि के कारणों का तुरंत उपचार और प्रोटीन, विटामिन, आयरन‑समृद्ध आहार की सलाह दी जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि पहले एनीमिक गर्भवती महिलाओं को पाँच बार आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दिया जाता था, जिसमें प्रत्येक डोज़ के लिए लगभग 30 मिनट लगते थे और साइड‑इफ़ेक्ट की संभावना रहती थी। अब इसे एफसीएम (फेरिक कार्बोक्सीमाल्टोज) इंजेक्शन से बदल दिया गया है, जिसका केवल एक डोज़ 15 मिनट में पूरा हो जाता है और कोई गंभीर साइड‑इफ़ेक्ट नहीं देखा गया है।
डॉ. सृजन सेंगर ने प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी मातृ पोषण और आयरन के महत्व के बारे में जानकारी दें, जिससे ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में उपस्थित सभी महिलाओं को उचित पोषण सलाह मिल सके। प्रशिक्षण में डॉ. शाश्वत बुचके, डीपीएम कविता भोई, एसटीएस देवनारायण खापरे, जिला मीडिया प्रभारी सुनील साहू तथा अन्य चिकित्सक, नर्सिंग अधिकारी और स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

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