मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
मोक्षदा एकादशी गीता जयंती के दिवस ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने श्रीमुख से कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया
नर्मदा पुरम।। श्री गीता जयंती महोत्सव समिति के तत्वाधान में आयोजित गीता जयंती के त्रिदिवसीय ज्ञान सत्र में श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन हेतु ऋषिकेश से पधारे पूज्य स्वामी ध्रुव चैतन्य जी सरस्वती परमाध्यक्ष ,सुबोधानंद फाउंडेशन ने व्यास गादी से अपने उध्बोधन में कहा की मोक्षदा एकादशी गीता जयंती के दिवस ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने श्रीमुख से कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था ,गीताजी धर्मशास्त्र के स्थान पर आध्यात्म शास्त्र है धर्मशास्त्र विधि निषेध पर बल देता है , जबकि आध्यात्म शास्त्र व्यक्ति को शिक्षित करता है अर्जुन कर्तव्य के संबंध में अनिर्णय की स्थिति में पहुंचने पर शिक्षा की जिज्ञासा करते हैं ,गीता की समाप्ति पर भगवान कहते हैं अर्जुन मैं तुम्हें सब कुछ बता दिया है अब तुम निर्णय करो कि तुम्हें क्या करना है अर्थात भगवान हमें विवेकी बना देना चाहते हैं ,यही सनातन धर्म है इसी के कुछ पहलुओं पर हमें चिंतन करना है अर्जुन के सारे प्रश्न हमारे जीवन से हुए जुड़े हुए हैं हमें निर्णय की स्थिति में क्या करना है युद्ध क्षेत्र वस्तुतः अंतर्जगत का द्वंद है जो हम सभी के जीवन में चलता है परम विश्राम और परम सुख मिले यही गीता का उद्देश्य है ,गीता के द्वितीय अध्याय के दसवें श्लोक में यही उपदेश दिया गया है कि ज्ञानी पंडित लोग कभी शोक नहीं करते हैं ,सर्वधर्मां परित्यजन ,गीता का प्रयोजन शोक मुक्ति है दूसरे अध्याय में ज्ञान की प्रशंसा भी है आत्मज्ञान कर्तव्य है पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पं भवानी शंकर शर्मा , अधिवक्ता विनोद दीवान शंकर लाल पालीवाल ,महेन्द्र चौकसे , अजय सैनी ,हंस राय ,रामसेवक शर्मा ने पूज्य स्वामी जी का पुष्पहार से स्वागत किया प्रवचन के पूर्व भजनांजली में गायक गोविंद यादव ने भजन की प्रस्तुति दी संगत पं राम परसाई और सक्षम पाठक ने की संचालन डॉ संजय गार्गव ने किया ।

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