ओणम पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया मान्यता यह भी है कि आज के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है - AKN News India

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Sunday, 15 September 2024

ओणम पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया मान्यता यह भी है कि आज के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है


 


मनोज सोनी एडिटर इन चीफ


ओणम पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया 

मान्यता यह भी है कि आज के दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था

ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं

 इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है


नमदापुरम। ओणम पर्व दक्षिण भारत में मुख्यतः: केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्सव माना जाता है, जिसे दस दिनों तक बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम पर्व के दौरान अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं और इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। साथ ही यह पर्व नई फसल की अच्छी उपज की खुशी में भी मनाया जाता है।

   मान्यता है कि इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं, जिसकी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। उनके ही स्वागत में घरों में साफ सफाई की जाती है और अच्छे से सजाया जाता है। साथ ही एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। 

  इस पर्व के लिए विशेष रूप से ओणम साद्य यानी जिसका मलयालम में अर्थ होता है 'भोज'। इसमें शाकाहारी भोजन बनाएं जाते हैं। इसमें केले के पत्ते पर 24 व्यंजन होते हैं, जिनसे यह खास पर्व मनाया जाता है।

     नर्मदापुरम के बैजू जोसफ के घर के आंगन में यह फूलों की रगोली शायनी जोसफ ने 15 किलो के फूलों से बनाई है । जिसमें गुलाब, चादनी, पारिजात, चेमनती, दो रगों के गेंदें और चांदनी के कटे हुए पतों का इस्तेमाल किया गया है।  इस रगोंली को बनाने में 3.30 घंटे का समय लगा।





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