हर हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से सराबोर हुआ पूरा नर्मदाचल क्षेत्र *लय और प्रलय के संयुक्त पर्याय तथा डमरू एवं त्रिशूल के एकल स्वामी भगवान भोलेनाथ की आराधना में डूबा समूचा नर्मदांचल* *पचमढ़ी स्थित चौरागढ़ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये चौरागढ़ महादेव के दर्शन* *जिले के समस्त शिवालयों पर भक्तों की लगी रही अनवरत कतार* *लाखों श्रद्धालु बने इस पवित्र दिन के साक्षी* - AKN News India

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Wednesday, 26 February 2025

हर हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से सराबोर हुआ पूरा नर्मदाचल क्षेत्र *लय और प्रलय के संयुक्त पर्याय तथा डमरू एवं त्रिशूल के एकल स्वामी भगवान भोलेनाथ की आराधना में डूबा समूचा नर्मदांचल* *पचमढ़ी स्थित चौरागढ़ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये चौरागढ़ महादेव के दर्शन* *जिले के समस्त शिवालयों पर भक्तों की लगी रही अनवरत कतार* *लाखों श्रद्धालु बने इस पवित्र दिन के साक्षी*


मनोज सोनी एडिटर इन चीफ 


*हर हर महादेव के गगनभेदी जयकारों से सराबोर हुआ पूरा नर्मदाचल क्षेत्र 

*लय और प्रलय के संयुक्त पर्याय तथा डमरू एवं त्रिशूल के एकल स्वामी भगवान भोलेनाथ की आराधना में डूबा समूचा नर्मदांचल*

*पचमढ़ी स्थित चौरागढ़ मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये चौरागढ़ महादेव के दर्शन*

*जिले के समस्त शिवालयों पर भक्तों की लगी रही अनवरत कतार*

*लाखों श्रद्धालु बने इस पवित्र दिन के साक्षी*


*नर्मदापुरम। महाशिवरात्रि के पावन पर्व ने संपूर्ण नर्मदापुरम जिले को भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा से सराबोर कर दिया। लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिलोक के स्वामी भगवान आशुतोष के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने पचमढ़ी एवं जिले के अन्य पवित्र शिवालयों तक पहुँचने के लिए लंबी यात्राएँ की।

 पूरा नर्मदांचल क्षेत्र का वातावरण"हर हर महादेव" के गगनभेदी जयकारों से गूंजते हुए आध्यात्मिक ऊर्जा से विद्युतीय हो गया। संपूर्ण जिले में इस पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ की पूजन के लिए विशेष प्रार्थना, रात्रि जागरण और पारंपरिक अनुष्ठान हुए। फूलों और जगमगाते दीपों से सजे मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों ने दर्शन किए, जो उनकी अटूट आस्था और समर्पण को दर्शाता है। इस दौरान पूरा जिला शिव भक्ति का केंद्र बन रहा, धार्मिक आयोजनों, भजन और विशेष पूजा ने त्योहार के पवित्र उत्साह को और बढ़ाया। 

जिला प्रशासन ने सभी भक्तों के लिए एक सहज और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए। पचमढ़ी स्थित चौरागढ़ मंदिर में आज महाशिवरात्रि के दिन लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चौरागढ़ महादेव के दर्शन किये। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक लगभग 3 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर चुके है।

*कलेक्टर एवं एसपी ने देर रात पचमढ़ी पहुंचकर महादेव मेले की व्यवस्थाओं का लिया जायजा*

महाशिवरात्रि पर्व के पावन अवसर पर पचमढ़ी में आयोजित महादेव मेले की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिए नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना एवं पुलिस अधीक्षक डॉ. गुरकरन सिंह ने देर रात मेला स्थल का दौरा किया। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर सुश्री मीना ने अस्थायी मेडिकल कैंप, श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए विश्राम शिविर एवं अन्य सुविधाओं का जायजा लिया। कलेक्टर सोनिया मीना ने मेले में आए श्रद्धालुओं से बातचीत कर उनकी जरूरतों एवं सुविधाओं की जानकारी ली।

कलेक्टर ने मेला स्थल पर सुरक्षा, स्वच्छता एवं भीड़ नियंत्रण की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। पुलिस अधीक्षक डॉ. गुरकरन सिंह ने मेले में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए पुलिस बल को सतर्क रहने के निर्देश दिए, जिससे श्रद्धालु निर्विघ्न और सुरक्षित रूप से मेले का आनंद ले सकें। इस दौरान अपर कलेक्टर डी.के सिंह, एसडीएम पिपरिया श्रीमती अनीशा श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

जिला प्रशासन द्वारा मेले में स्वास्थ्य सेवाओं, यातायात प्रबंधन एवं साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। सभी अधिकारीगण सतत रूप से मेले के सुचारू संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे है। मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल एवं डॉग स्क्वायड पूरी तरह से सक्रिय हैं। मेले में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने और श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए सघन निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही, पुलिस बल द्वारा माइक के माध्यम से धूम्रपान निषेध, प्लास्टिक एवं पॉलीथिन के उपयोग पर रोक, तथा वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण संबंधी निर्देश लगातार प्रसारित किए जा रहे हैं।

खोया पाया केंद्र पर अपने परिवार से बिछड़ी एक महिला श्रद्धालू को उनके परिवार से संपर्क कर मिलवाया गया। इस दौरान उक्त महिला के विश्राम तथा भोजन आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई। भारी भीड होने से लोग अपने परिजनो से बिछड जा रहे थे, परंतु जिला प्रशासन की मुस्तैदी से प्रत्येक गुमशुदा को अपने परिजनो से मिलवा दिया गया है।

*विदर्भ क्षेत्र से है चौरागढ़ महादेव का विशेष नाता*

पचमढी को भगवान शिव की तपस्या स्थली माना जाता है। मान्यता है कि महारष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के लोग भगवान शिव को अपना बहनोई तथा देवी पार्वती को अपनी बहन मानते है, इसलिये विशेष रूप से विदर्भ के श्रद्धालू महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने आते है, भक्तजन बडे बडे तथा सैकड़ों किलो वजन के त्रिशूल लेकर अपने आराध्य को अर्पित करने के लिए दुर्गम रास्तों से पहुँचते हैं। 

कई श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर ही मंदिर में त्रिशूल भेंट करते हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित किए गए त्रिशूलों का अंबार लगा हुआ है जो इनकी अपने आराध्य के प्रति अटूट आस्था एवं भक्ति को परिलक्षित करता। इसी प्रकार पचमढ़ी स्थित जटाशंकर महादेव एवं गुप्त महादेव भी अपने पौराणिक महत्व को समेटे हुए हैं। चौरागढ़ महादेव के समांतर ही इन मंदिरों में भी भक्तों की लंबी कतारें इस दौरान देखी गई। उक्त दोनों मंदिरों में भी भक्तों ने दर्शन कर मनोकामना पूर्ति एवं कल्याण के लिए प्रार्थनाएं की।

*महाकाल मंदिर की तर्ज पर बना मां नर्मदा के तट पर स्थित काले महादेव मंदिर, जहां बाबा महाकाल की तर्ज पर होती है पूजन*

जिला मुख्यालय पर मां नर्मदा के तट पर महाकाल मंदिर की तर्ज पर बना काले महादेव मंदिर स्थित है, जहां बाबा महाकाल की तर्ज पर पूजन होती है। काले महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का उज्जैन स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा महाकाल ज्योतिर्लिंग की तर्ज पर ही श्रृंगार एवं पूजन की जाती है। मान्यता है कि मंदिर में विराजित शिवलिंग पर लेपित हल्दी को लगा लेने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस मान्यता के चलते दूर-दराज से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं।स्थानीय लोगो के अनुसार श्री काले महादेव के नाम से विख्यात यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है। नर्मदा तट के किनारे स्थित शिव मंदिरों में यह एक प्रमुख और चमत्कारी शिव मंदिर है।  महाशिवरात्रि के पावन पर्व के दौरान बाबा काले महादेव विशेष चल समारोह से नगर भ्रमण करते हुए मां नर्मदा के तट पर पहुंचते है।

*प्राचीन तिलक सिंदूर मंदिर: विश्व का एकमात्र शिवलिंग जहाँ भगवान को सिंदूर चढ़ाया जाता है*

नर्मदापुरम में स्थित प्राचीन तिलक सिंदूर मंदिर एक अनूठा धार्मिक स्थल है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जहाँ भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाया जाता है। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी अनूठी परंपरा के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर सदियों पुराना माना जाता है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है।

 इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ भगवान शिव को जल, दूध या बेलपत्र के स्थान पर सिंदूर चढ़ाया जाता है।  तिलक सिंदूर मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष तिलक सिंदूर क्षेत्र में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रति वर्षानुसार तिलक सिंदूर मेले का स्थानीय प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मंदिर प्रांगण में 4:00 बजे झंडा चढ़ा कर शुभारंभ किया गया।

 श्रद्धालुओं की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए मेले में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई।  मेले में तकरीबन 200 दुकान आवंटित की गई, इसी के साथ मिले प्रांगण में झूले भी लगे हुए हैं। मेले में अन्य प्रकार की गतिविधियां जैसे रामसत्ता भजन, यज्ञ इत्यादि का भी आयोजन किया गया। मेले में वाहन पार्किंग के लिए नदी के पास पार्किंग की व्यवस्था की गई, जिसमें लगभग 5000 दो पहिया वाहन एवं लगभग 1000 चार  पहिया वाहन खड़े करने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। जिला खाद्य एवं सुरक्षा टीम ने भी मेले में खाद्य सामग्री की दुकानों का निरीक्षण कर सतत रूप से निगरानी की।

 मेले में पेयजल आदि की भी व्यवस्था की गई। इस वर्ष तिलक सिंदूर मेले में एक नवाचार भी किया गया , जिससे यूपीआई स्कैन के माध्यम से मंदिर प्रांगण में दान राशि एकत्रित की जाएगी। जो श्रद्धालु अपनी इच्छा से दान करना चाहते हैं वह इस यूपीआई आईडी पर मोबाइल से स्कैन कर दान कर सकते हैं। मेला परिसर में पूर्ण रूप से स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था भी की गई एवं मेले की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए पूर्ण मेले में सीसीटीवी कैमरा लगाए भी स्थापित किए गए थे।

*प्राकृतिक सुंदरता एवं हरियाली से लबरेज बाबा शरद देव का प्राचीन मंदिर*

इटारसी शहर से मात्र 30 मिनट की दूरी पर स्थित शरद देव बाबा का मंदिर, जंगल के बीच एक पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह मंदिर न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ स्थापित प्राचीन शिवलिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इस वर्ष भी मंदिर पर पहुंचकर कई श्रद्धालुओं ने बाबा शरद देव के दर्शन किए। यह मंदिर जिले के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। 

यहाँ स्थापित शिवलिंग कई वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान मिला था। शरद देव बाबा का मंदिर हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ का शांत वातावरण और प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को एक अलग ही अनुभव प्रदान करते हैं। यह मंदिर स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है। यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं।



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