ऋग्वेद सूत्रों में बिगबैंग की चर्चा : प्रो उपाध्याय
प्रज्ञा प्रवाह के अध्ययन मंडलों की बैठक
भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परम्परा और पंच परिवर्तन पर विमर्श
एके एन न्यूज नर्मदापुरम। भारत देश में विज्ञान की अतीत बहुत ही समृद्ध और विस्तृत रहा है। धरती की उत्पत्ति की जो बात वर्तमान विज्ञान करता है, उस बिगबैंग थ्योरी की चर्चा हमारे ऋग्वेद में की गई है। यह बात वैचारिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह के अध्ययन मंडल की मासिक विमर्श बैठक में प्रो रवि उपाध्याय ने पीएमश्री महाविद्यालय में कही।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार हमारे ग्रंथों में शनि की साढ़े साती दशा की बात कही गई है, आज इस बात को विज्ञान भी मान्यता दे रहा है। इतना समृद्ध विज्ञान होने के बाद भी बीच के समय में विदेशी षड्यंत्रों के चलते हमें हमारे ज्ञान से दूर किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1720 तक हमारे समाज में वायरस जनित बीमारियों के लिए वेक्सिनेशन की व्यवस्था थी। इसका उल्लेख एक अंग्रेज अफसर एडवर्ड जैनर ने अपने पत्रों में किया है। उसके पुत्र की जान भी उसी से बची थी। जबकि वर्तमान प्रथम वैक्सीन का आविष्कार ही 1798 में हुआ। इस बीच हमारे ज्ञान को खत्म किया गया।
हमें अपने ज्ञान का गौरव नहीं : प्रो मेहर
स्थानीय होम साइंस कॉलेज में आयोजित बैठक में प्रो रामबाबू मेहर के भारत में ज्ञान की उज्ज्वल परम्परा कि चर्चा करते हुए कहा कि भारत पुरातनकाल से ही ज्ञान विज्ञान का प्रमुख केंद्र रहा है। यह बात उल्लेख एक विदेशी लेखक लैंड स्टॉर्म ने भी किया है। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि संस्कृत भारती ने वर्ष 2001 में इस प्रकार के ज्ञान को एकत्रित कर सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया तो उसे स्वीकार ही नहीं किया गया। इस पर पाई के मान पर भी चर्चा की गई और प्रमाण प्रस्तुत किए गए की पाई का मान हम सबसे पहले जानते थे। इसी प्रकार पाइथागोरस के प्रमेय का सरल हल भी बौधायन सूत्र में विद्यमान है। बैठक में संतोष उपाध्याय ने भी अपने विचार रखे। बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के विभाग संयोजक प्रमोद शर्मा, सह संयोजक रुचि खंडेलवाल सहित अन्य सदस्य और प्रोफेसर उपस्थित रहे।

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