एके एन न्यूज एडिटर इन चीफ
जिले में जैविक और प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण कहीं दिखावा बनकर तो नहीं रह जाएगा?
आवासीय प्रशिक्षण शिविर में आई महिलाओं से, प्रभारी कह रहे थेे अभी आप घर चली जाओ कल 10 बजे आ जाना
एके एन न्यूज नर्मदा पुरम। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत नर्मदापुरम जिले में पांच दिवसीय आवासीय कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम की खानापूर्ति पवारखेड़ा में की जा रही है। पहले दिन शुभारंभ के अवसर पर प्रशिक्षण के नाम पर कवायद की गई। फिर किसी सरकारी स्कूल बस के माध्यम से महिलाओं को प्राकृतिक खेती, जैविक खेती करने वाले क्षेत्र में भ्रमण की कवायद की गई। मंगलवार को सोहागपुर क्षेत्र में महिलाओं को भ्रमण कराने के लिए पीले रंग की सरकारी बस में ले जाया गया। यह बस सीएम राइस स्कूल के बच्चों के लिए आई हुई हैं। उसका उपयोग महिलाओं के भ्रमण के लिए किया जाना जनचर्चा का विषय बनी हुई है। जो कि अपने आप में एक विचारणीय प्रश्न है। क्या महिलाओं के लिए कोई अन्य बस उपलब्ध नहीं हो सकती थी। जो सीएम राईस स्कूल के बच्चों के लिए आई बस का उपयोग किया जा रहा है।
वहीं शाम के भ्रमण से वापस आई महिलाओं से कहा कि आप लोग घर चली जाएं कल सुबह 10 बजे आ जाना, जबकि यह प्रशिक्षण् शिविर आवासीय है। तब महिलाओं से शिविर प्रभारी यह क्यों कह रहे थे कि अभी आप लोग घर चली जाएं कल आ जाना। इस प्रकार तो शिविर के नाम पर कवायद ही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आवासीय प्रशिक्षण शिविर में दूर दराज की बहुत कम ही महिलाएं ही रह रही हैं। बाकी अपने घर जाकर दोपहर तक आती हैं। इस प्रकार प्रशिक्षण के नाम पर मात्र खानापूर्ति करके जिले में प्राकृतिक खेती सिर्फ दिखावा ही साबित हो रही है।
ज्ञात हुआ है कि इस प्रशिक्षण में नर्मदापुरम जिले के चार विकासखंड नर्मदापुरम सिवनी मालवा केसला एवं माखननगर से कुल 54 कृषि सखी पहुंची हैं। लेकिन प्रशिक्षण स्थल पर सिर्फ एक दर्जन महिलाएं ही आवासीय प्रशिक्षण में शामिल हो रही हैं। बाकी की प्रतिदिन आना जाना कर रही हैं। ऐसी स्थिति में यह प्रशिक्षण कितना सार्थक और कितना निर्थरक सिद्ध होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इस मामले में जब कृषि सखी प्रशिक्षण शिविर प्रभारी से चर्चा करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बात करने से इंकार करते हुए कहा कि कल सुबह आइए आप से बात करते हैं। जनचर्चा यह भी है कि कहीं आवासीय कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम के नाम पर लीपापोती तो नहीं हो रही हैं।


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