कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए नहीं रह सकता किंतु कर्म की दिशा ईश्वर की ओर होने से यह कर्म योग बन प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए लक्ष्य बनाने की स्वतंत्रता केवल मनुष्य को ही प्राप्त है - AKN News India

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, 3 December 2025

कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए नहीं रह सकता किंतु कर्म की दिशा ईश्वर की ओर होने से यह कर्म योग बन प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए लक्ष्य बनाने की स्वतंत्रता केवल मनुष्य को ही प्राप्त है


मनोज सोनी एडिटर इन चीफ 


 कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए नहीं रह सकता किंतु कर्म की दिशा ईश्वर की ओर होने से यह कर्म योग बन 

प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए लक्ष्य बनाने की स्वतंत्रता केवल मनुष्य को ही प्राप्त है 


नर्मदापुरम। त्रीदिवसीय गीता जयंती महोत्सव के समापन दिवस पर स्थानीय तिलक भवन सेठानी घाट पर आयोजित ज्ञान सत्र में पधारे सुबोधानंद फाऊंडेशन ऋषिकेश के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी श्री ध्रुव चैतन्य जी सरस्वती ने कर्म को यज्ञ पूर्वक किए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि कोई भी मनुष्य बिना कर्म किए नहीं रह सकता किंतु कर्म की दिशा ईश्वर की ओर होने से यह कर्म योग बन प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए लक्ष्य बनाने की स्वतंत्रता केवल मनुष्य को ही प्राप्त है प्रत्येक व्यक्ति को दो लक्ष्य बनाना चाहिए पहले सूक्ष्म लक्ष्य जो की स्वधर्म अथवा कर्तव्य बोध होता है जबकि दूसरा परम लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति होना चाहिए पूरी सृष्टि में केवल मनुष्यों को ही कर्म की स्वतंत्रता प्राप्त है बाकी सभी प्राणी क्रिया करते हैं अतः हमें चिंतन करना होगा कि कर्म योग कब बन जाता है , भगवान ने स्वयं तक पहुंचाने के लिए बहुत से आयाम बताए हैं अर्जुन के माध्यम से कर्म उपासना ज्ञान भक्ति को मार्ग बात कर भगवान हमारे प्रश्नों के उत्तर देते हैं इन चार प्रकार से लोग मेरी उपासना करते हैं यह भगवान की करुणा है जो वह उन्हें सुकृति कहते हैं अगर हमारा संबंध किसी भी प्रकार का संबंध यदि नहीं बनता है तो हमें सुकृति नहीं है, प्रभु हैं वह हमारी बात सुनते हैं रक्षा करते हैं यह अर्थ भाव है यह भरोसा जिसके पास नहीं वह दिन है दूसरे हैं अर्थार्थी हमारे जीवन में जो भी कार्य करते हैं वह प्रभु प्रार्थना से जोड़कर करते हैं अर्थार्थी हमेशा प्रभु से जुड़ा रहता है हर प्रयोजन के पीछे प्रभु को याद कर लेता है जो कार्य हमारे प्रयास से सिद्ध हो जाते हैं वहां प्रभु याद नहीं आते यही चूक है,  इन्हीं दो आर्त  और अर्थार्थी में जीवन पूरा हो जाता है ,,

कार्यक्रम के प्रारंभ में ऋषि कुल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सामवेद स्वरों में गीता पाठ किया गया भजनांजलि के अंतर्गत सुश्री निशा हरियाले द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गई संगत  राम परसाई एवं विपुल दुबे द्वारा की गई, प्रवचन के पूर्व डॉ वैभव शर्मा द्वारा त्रिदिवसीय ज्ञान सत्र के आयोजन का आभार प्रस्तुत किया गया, पूज्य स्वामीजी का पुष्पहारों से स्वागत अरुण शर्मा ,डॉ वैभव शर्मा ,भगवताचार्य पं सोमनाथ शर्मा ,पं अजय दुबे नवनीत कोहली ,रामसेवक सराठे, मनोज जराठे ,सुनील जराठे, विजय दास महंत ,नितिन सराठे , मुकेश श्रीवास्तव,अजय श्रीवास्तव ,शिवम सैनी ने किया । 

प्रवचन के पूर्व डॉ वैभव शर्मा द्वारा आभार प्रस्तुत किया गया , समारोह के समापन में समिति के अध्यक्ष पं गिरिजा शंकर शर्मा द्वारा व्यास पूजन किया गया संचालन डॉ संजय गार्गव ने किया ।

No comments:

Post a Comment

महाराणा प्रताप मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रोहना द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा 7 दिवसीय शिविर बाई खेड़ी में किया आयोजित

मनोज सोनी एडिटर इन चीफ    महाराणा प्रताप मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रोहना द्वारा   राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा 7 दिवसीय शिविर बाई खेड़ी  ...

Post Top Ad

Responsive Ads Here