मनोज सोनी एडिटर इन चीफ
'द चैम्प्स फन स्कूल' में बसंत पंचमी पर भव्य विद्यारंभ संस्कार संपन्न
नर्मदा पुरम। बसंत पंचमी के पावन अवसर पर 'द चैम्प्स फन स्कूल' में विद्यारंभ संस्कार का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर छोटे बच्चों को शिक्षा के प्रथम पायदान पर ले जाने के लिए पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ यह संस्कार संपन्न हुआ। कार्यक्रम में आचार्य पं सोमेश परसाई के सानिध्य में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बच्चों का विद्यारंभ संस्कार कराया गया।
माँ सरस्वती पूजन से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत पं पंकज पाठक और उनके सहयोगियों द्वारा माँ सरस्वती के पूजन से हुई। पूरे वातावरण में वैदिक मंत्रों की दिव्य ध्वनि गूंज उठी। बच्चों और अभिभावकों ने श्रद्धा भाव से पूजन किया और माँ सरस्वती से विद्या, बुद्धि और ज्ञान की प्रार्थना की।
आचार्य पं सोमेश परसाई का प्रेरणादायक संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य पंडित सोमेश परसाई ने अपने बौद्धिक सत्र में शिक्षा और संस्कारों के महत्व पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 'द चैम्प्स फन स्कूल' तथा स्प्रिंगडेल्स स्कूल केवल शैक्षणिक शिक्षा नहीं देते, बल्कि बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए संस्कार कक्षाएं भी चला रहे हैं। उन्होंने स्कूल प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों को न केवल शिक्षा मिलती है, बल्कि वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं से भी जुड़ते हैं।
माँ सरस्वती की महिमा और कुंभकरण की कथा
अपने प्रवचन में आचार्य पं सोमेश परसाई ने माँ सरस्वती के महत्व को बताते हुए पौराणिक कथा का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि जब रावण के भाई कुंभकरण ने अत्यंत शक्तिशाली अमरत्व के वरदान प्राप्त करने के उद्देश्य से तप किया, तब देवताओं को भय हुआ कि यदि कुंभकरण को अमरत्व का वरदान मिल गया, तो वह संपूर्ण सृष्टि के लिए संकट बन जाएगा। इस स्थिति को टालने के लिए देवताओं के आह्वान पर माँ सरस्वती कुंभकरण की जिह्वा पर विराजमान हो गईं और उसकी वाणी को इस प्रकार मोड़ दिया कि वह मनचाहे वरदान के स्थान पर "निद्रासन" मांग बैठा। इस कारण उसे यह वरदान मिला कि वह छह महीने सोएगा और छह महीने जागेगा। इस कथा के माध्यम से उन्होंने माँ सरस्वती के बुद्धि, वाणी और विद्या में अद्वितीय स्थान को रेखांकित किया।
विद्यारंभ संस्कार बना यादगार अनुभव
सरस्वती पूजन के पश्चात विद्यारंभ संस्कार विधिपूर्वक संपन्न हुआ। बच्चों को अक्षर लेखन का पहला अनुभव दिलाने के लिए पारंपरिक रीति से स्लेट पर मंत्र लिखवाए गए।
संस्कार की इस पावन बेला में उपस्थित सभी जनों ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना की।
कार्यक्रम का कुशल संचालन और विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस भव्य आयोजन का संचालन श्रीमती आरती मालवीय और श्रीमती नेहा राठौर ने किया। मंच संचालन श्रीमति रीना मालवीय ने किया। उन्होंने पूरे कार्यक्रम को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया और सभी उपस्थित जनों को विद्यारंभ संस्कार के महत्व से अवगत कराया।
स्कूल प्रबंधन की अहम भूमिका
इस अवसर पर स्कूल की डायरेक्टर श्रीमती जूही चटर्जी ने कार्यक्रम में आए सभी अभिभावकों, बच्चों और विशेष अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और संस्कारों का विकास भी आवश्यक है, और 'द चैम्प्स फन स्कूल' तथा स्प्रिंगडेल्स स्कूल इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं।
प्रमुख अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण अवसर पर स्कूल प्राचार्य डॉ आशीष चटर्जी ने भी सरस्वती पूजन किया और विद्यारंभ संस्कार की विधियों में भाग लिया और बच्चों को आशीर्वाद दिया। इसके साथ ही स्प्रिंगडेल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्राचार्य श्रीमती मोना चटर्जी, डायरेक्टर सुभाशीष चटर्जी, विशिष्ट अतिथि पी.के. चटर्जी, श्रीमती प्रणोति चटर्जी, अरुण कुमार गोस्वामी, श्रीमति रंजना चटर्जी, श्रीमति दीपाली गोस्वामी, प्रकाश हरने की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
अभिभावकों ने व्यक्त की खुशी
अभिभावकों ने इस संस्कार में भाग लेकर हर्ष जताया और द चैम्प्स फन स्कूल के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन बच्चों को शिक्षा और संस्कारों के प्रति जागरूक करने में सहायक होते हैं।
संस्कार और शिक्षा का संगम
इस आयोजन ने साबित किया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कारों और संस्कृति का भी इसमें महत्वपूर्ण स्थान है। इस पावन अवसर पर बच्चों को न केवल शिक्षा का पहला अनुभव प्राप्त हुआ, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी उनका साक्षात्कार हुआ।
नर्मदापुरम के 'द चैम्प्स फन स्कूल' में हुआ यह विद्यारंभ संस्कार न केवल बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, बल्कि अभिभावकों के लिए भी यह एक प्रेरणादायक अनुभव रहा।
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