मनोहारी शिक्षा के वृक्ष को अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया : प्रो उपाध्याय
प्रज्ञा प्रवाह के अध्ययन समूहों में द ब्यूटीफुल ट्री पुस्तक पर चर्चा
नर्मदापुरम। अठारहवीं सदी तक भारत वर्ष की शिक्षा प्रणाली एक मनोहारी वृक्ष की तरह विशाल और सुंदर थी। अंग्रेजों ने इस वृक्ष को देखा और उसकी जड़ों को काटकर उसे खोखला करके सुखा दिया। उसके बाद उन्होंने मनमानी शिक्षा हमपर थोपी और कई भ्रम समाज में फैलाए। यह बात बुधवार को स्थानीय होम साइंस कॉलेज और नर्मदा महाविद्यालय में आयोजित प्रज्ञा प्रवाह संगठन के अध्ययन समूह बैठकों में प्रोफेसर रवि उपाध्याय ने कही। बैठक में संगठन के प्रांतीय संयोजक धीरेन्द्र चतुर्वेदी, सह संयोजक लाजपत आहूजा और युवा आयाम प्रभारी अभिषेक शर्मा भी उपस्थित थे।
प्रज्ञा प्रवाह के विभाग संयोजक प्रमोद शर्मा ने बताया कि प्रो उपाध्याय ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक समय समय पर ब्रिटिश कलेक्टरों द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर धर्मपाल जी द्वारा लिखी गई है। इसमें तथ्यों के साथ बताया गया कि 18वीं सदी के प्रारंभ तक भारत के हर गांव में एक विद्यालय था। इस प्रकार यहां लाखों विद्यालय संचालित थे। इस विद्यालयों में करोड़ों की संख्या में बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। इन विद्यालयों में सभी वर्णों के बच्चे एक साथ पढ़ते थे और उनका समूचा दायित्व समाज उठाता था।
उन्होंने कहा कि समाज में आज रह यह भ्रम स्थापित है कि भारतीय समाज जातियों में विभाजित था और ब्राह्मण के अतिरिक्त दलितों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। जबकि अंग्रेज कलेक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा नहीं था। सभी वर्णों के बच्चे एक साथ शिक्षा ग्रहण करते थे। अंग्रेजी सरकार ने हमारे शिक्षा के आदर्श मॉडल को न केवल नष्ट किया अपितु समाज को भी विभाजित कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति बच्चों को योग्य बनाती थी। अंग्रेज सरकार ने उनकी मान्यता समाप्त की और एक ऐसी शिक्षा लागू की जो उनके हित में थी।
अंत में उन्होंने कहा कि आज हमें यह विचार अवश्य करना चाहिए कि ऐसा क्या हुआ कि हमारी श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त किया गया। हमें यह सोचना होगा कि आगे हमें क्या करना है। श्री आहूजा ने कहा कि समाज के सामने यह सत्य अवश्य आना चाहिए कि हमारा अतीत बहुत ही गौरवशाली और समृद्ध रहा है। प्रज्ञा प्रवाह का यही प्रयास है कि हमें इसकी जानकारी होनी चाहिए और हमारी विचार परंपरा राष्ट्रीयता पर आधारित हो।
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